Kar Khushamad To Har Ek
सी रामचंद्र
खुशामद है दुनिया मे आला
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
खुशामद भाई खुशामद
खुशामद है दुनिया मे आला
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
कारोबारी हो या सरकारी
हर दफ़्तर मे ये बीमारी
कारोबारी हो या सरकारी
हर दफ़्तर मे ये बीमारी
ज़रा चुके तो हो ज़रा चुके तो
मूह होगा काला
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
कहे मलिक तो गर्दन हिला दो
हा जी हा, हा जी हा, हा जी हा
कहे मलिक तो गर्दन हिला दो
दिन को तारे भी गिन के दिखा दो
रूप का रंग बता दो कला
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
खुशामद से अब्बा भी राज़ी
ओर खुशामद से जुर्वा भी राज़ी
अजी हा हा हा हा हा हा
खुशामद से जुर्वा भी राज़ी
कभी घर मे ना
कभी घर मे ना होगा घोटाला
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
सच जो बोले तो खाओगे डंडे
की खुशामद पराठे और अंडे हा अंडे
सच जो बोले तो खाओगे डंडे
की खुशामद पराठे और अंडे
सर सरता मिलेगा नीवाला हा
खुशामद का है बोलबाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
खुशामद ना की जिसने दुनिया मे रहकर
निकलेगा उसका दीवाला
Written by: CHITALKAR RAMCHANDRA, PARWAIZ SHAMSILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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