Daulat Ne Paseene Ko

सी रामचंद्र

बढ़े चलो बिरादरों किसी से मत डरो अगर हो मौत सामने मुकाबला करो किसी से मत डरो चलो बिरादरों दोलत ने पसीने को आज लात है मारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी दोलत ने पसीने को आज लात है मारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी आये हमारे सामने जिसमे भी हो ताकत ज़ुल्मो के है ख़िलाफ ये मेहेनत की बगावत जग में कभी मजदुर ने जग में कभी मजदुर ने बाज़ी नहीं हारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी दोलत ने पसीने को आज लात है मारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी अब आई है आई है इंसाफ़ की बरी इन ग़रीबो का हक़ आप इनको देते क्यू नही पिताजी इन भिखारियो के सामने मे अपनआ सर झुका दू तुम ये कहना चाहती हो मगर वो सच्चे है पिताजी बको मत मालती अगर वो सच्चे है तो हम झूठे है क्या सारी दुनिया यही केहेती है मेरा दिल भी यही केहता है मालती अगर ऐसा नहीं है तो अपनी झूठी इज़्ज़त को बचाने के लिए आपने मंजू को दुनिया की आँखों से कहा छुपा दिया वो मेरी बेहन हे क्या ये झूठ है वो आपकी बेटी है क्या ये झूठ है मालती इन गरीबो की आवाज मेरी कानो में गूंज रही है ये सच्चे है हम झूठे है ये सच्चे है हम झूठे है मालती खबारदार जो ज़्यादा जुबान चलाई पिताजी ज़माना जा चुका पैसे के शिकारी अब आई है आई है इंसाफ़ की बारी हर जुल्म को हर जुल्म को लगाएंगे हम चोट करारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी दोलत ने पसीने को आज लात है मारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी दोलत ने पसीने को आज लात है मारी हरगिज न रुकेगी अब हड़ताल हमारी

Written by: C Ramchandra, pradeepLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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