Parinda
विवेक सिंह, Xubaan
इस जमीं के दो रास्ते
और एक दास्तां
तू है उड़ान-ए-मोहब्बत
है राह मैं खड़ा
इस फलक में सौ आसमां
तू उड़ जा ज़रा
ओ रे बंदे ढूंढ किनारा
तेरी मंज़िल वहां
रूखे सूखे नैना
तेरी कैसे रे परिंदा
कितनी ऊँची है उड़ान तेरी
जब तक उड़ने का आये रे भरोसा
गयी जान तेरी
भूले सवालों ने
पाया है बहाना
राहों ने तेरी तुझको पुकारा
रांझे की राहें, सूनी निगाहें
नैना हो नैनों का है सहारा
रूखे सूखे नैना
तेरी कैसे रे परिंदा
कितनी ऊँची है उड़ान तेरी
जब तक उड़ने का आये रे भरोसा
गयी जान तेरी
तेरी फितूर, तेरा कसूर
पर है यही तेरा वजूद
कैसे करूं तुझको बयां
जो है तेरा हाल यहां
ख्वाब तेरे हम ना खफा
हार तेरी हो हर दफा
ले उड़ चले सारा जहां
पंख तेरे आज़ाद
रूखे सूखे नैना
तेरी कैसे रे परिंदा
कितनी ऊँची है उड़ान तेरी
जब तक उड़ने का आये रे भरोसा
गयी जान तेरी
परिंदा परिंदा परिंदा हा आ आ
परिंदा परिंदा परिंदा (हा आ आ )
जब तक उड़ने का आये रे भरोसा
गयी जान तेरी
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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