Ajib Dastan Hai Yeh

विवेक सिंह

मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए किसी के इतने पास हो के सबसे दूर हो गए अजीब दास्ताँ है ये... कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम किसी का प्यार ले के तुम नया जहां बसाओगे किसी का प्यार ले के तुम नया जहां बसाओगे ये शाम जब भी आएगी तुम हमको याद आओगे अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम

Written by: SHAILENDRA, Shankar-JaikishanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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