Ram Darbar Hai Jag Sara

रविंद्र जैन

राम दरबार है जग सारा राम दरबार है जग सारा राम ही तीनो लोक के राजा राम ही तीनो लोक के राजा सबके प्रतिपाला सबके आधारा राम दरबार हैं जग सारा राम दरबार हैं जग सारा राम का भेद ना पाया वेद राम का भेद ना पाया वेद निगमहूँ नेति नेति उच्चारा राम दरबार हैं जग सारा राम दरबार हैं जग सारा रमापति राम उमापति शंभू रमापति राम उमापति शंभू एक दूजे का नाम उर धारा राम दरबार हैं जग सारा राम दरबार हैं जग सारा तीन लोक में राम का सज़ा हुआ दरबार जो जहाँ सुमिरे वहीं दरस दें उसे राम उदार जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम जय जय राम सियाराम राम में सर्व राम में सब माही रूप विराट राम सम नाहीं जितने भी ब्रह्मांड रचे हैं सब विराट प्रभु माहि बसें हैं रूप विराट धरे तो चौदह भुवन में नाहीं आते हैं सिमटे तो हनुमान ह्रदय में सीता सहित समाते हैं आ आ आ पतित उधारन दीन बंधु पतितो को पार लगातें हैं आ आ आ बेर बेर शबरी के हाथों बेर प्रेम से खाते हैं जोग जतन कर जोगी जिनको जनम जनम नहीं पाते हैं भक्ति के बस में होकर के वे बालक भी बन जाते हैं योगी के चिंतन में राम मानव के मंथन में राम तन में राम मन में राम सृष्टि के कण कण में राम आती जाती श्वास में राम अनुभव में आभास में राम नहीं तर्क के पास में राम बसतें में विश्वास में राम राम तो हैं आनंद के सागर भर लो जिसकी जितनी गागर कीजे क्षमा दोष त्रुटि स्वामी राम नमामि नमामि नमामि राम नमामि नमामि नमामि अनंता अनंत अभेदा अभेद अनंता अनंत अभेदा अभेद आगम्य गम्य पार को पारा राम दरबार है जग सारा राम दरबार हैं जग सारा राम दरबार हैं जग सारा राम दरबार हैं जग सारा

Written by: रविंद्र जैनLyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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