Lakhan Dulhare Bol Kachu Bol

रविंद्र जैन

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल भैया भैया केह के भैया भैया केह के रस प्राणों में घोल मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल इस धरती पर और ना होगा मुझ जैसा हतभागा मेरे रहते बाण शक्ति का तेरे तन में लागा जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे मुझसे नेह का धागा में भी अपने प्राण तजूँगा आज जो तू नहीं जागा अंखियो के तारे अंखियो के तारे लल्ला अंखिया तो खोल मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल बीती जाये रेन पवनसुत क्यू अब तक नहीं आये बुझता जाये आस का दीपक मनवा धीर गवाए सूर्य निकल कर सूर्य वंश का सूर्य डुबो ना जाये बिना बुलाये बोलने वाले बोले नहीं बुलाये चुप चुप रेहके चुप चुप रहके मेरा धीरज ना तोल मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल

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