Baadalon Ki Gehraaee
लकी अली
बादलों की गहराई में सोचे क्या हुज़ूर
ऊँचे ऊँचे चेहरे है ज़मीं से कितने दूर
आहे भरती है ये ठंडी हवा
ऐसे रंगीं राहों में अब हमको क्या हुआ
चाँद से तारों का है आपस का फ़ासला
बीच में ये गहना है ये गहना दुनिया
इस दुनिया को कह दे मजबूर
मिटा दिया खुद हस्ती को ये है किस का कसूर
तमन्ना है यही ऐसे यूं कभी
हम बसाये कोई नया जहां
आशना हो ये दिल प्यार के काबिल
साज़ ऐसी दी हो सुने जहां
मुसाफ़िर को मिले रास्ता
ज़माने को मिले वास्ता
ऐसे कैसे परवानों की बातें मशहूर
जैसे ये नजराने है वैसे है ये सुरूर
है यकीं दिल में सुबह आएगी ज़रुर
मिटेगा ये अँधेरा होगा हर एक शह में नूर
प्यार करते इधर यार बनते इधर
दास्तान ए सिफ़र सुनो यहाँ
ये भी होंगे खफ़ा क्या पता क्या गिला
हर कदम पे मिले कोई नया
मुसाफ़िर को मिले रास्ता
ज़माने को मिले वास्ता
Written by: LUCKY ALI, SYED ASLAMLyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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