Humsafar Hota Koi Toh Baant Lete

Chitra Singh, Jagjit Singh

हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुनगुनाती ये नज़र मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुनगुनाती ये नज़र किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की नामंज़ूरियाँ राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ ज़िन्दगी का नाम है लाचारियाँ मजबूरियाँ फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मंजिल इस तरह फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मंजिल इस तरह दिल के दामन से लिपटने आ गई हैं दूरियाँ राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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