Na Manzil Hai

Talat Mahmood, Asha Bhosle

क़फ़स में डाला मुझे अपने राज़दारो ने मेरे चमन को है लुटा मेरी बहारो ने खुदा गावा है सनम मेरी बेगुनाही का दिया फ़रेब तक़दीर के सितारों ने न मंज़िल है न मंजिल का निशान है न मंज़िल है न मंज़िल का निशान है मेरी भी दास्ताँ क्या दास्ताँ है मेरी भी दास्ताँ क्या दास्ताँ है न देना भूलकर भी दिल किसी को मोहब्बत इस ज़माने में कहा है कहो तो छेद कर दिल को दिखा दू कहा तक तेरा दिल में दिया है वफ़ा क्या है यह समझायेंगे एक दिन तेरी उल्फत में मिट जायेंगे एक दिन गिनकर ही मोहब्बत जावेदन है न मंज़िल है न मंजिल का निशान है(न मंज़िल है न मंजिल का निशान है) मेरी भी दास्ताँ क्या दास्ताँ है(मेरी भी दास्ताँ क्या दास्ताँ है)

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