Main Tujhko Agar Ek Phool Kahoon

Talat Mahmood

मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ तेरे रुतबे की तौहीन है ये तेरा हुस्न हमेशा क़ायम है दम भर के लिये रंगीन है ये मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ ये आँख अगर उठ जाये तो हर एक सितारा सजदा करे आ जाये कहीं होंठों पे हँसी बिजली भी तड़प कर आह भरे बिजली भी तड़प कर आह भरे मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ तेरे रुतबे की तौहीन है ये ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाये तो रातों की जवानी शरमाये रफ़्तार का आलम क्या कहिये रफ़्तार का आलम क्या कहिये बहता हुआ दरिया थम जाये मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ तेरे रुतबे की तौहीन है ये दिन रात महकते रहने की कलियों ने अदा तुझ से पाई ये चाँद जो घटता बढ़ाता है दरस्ल है तेरी अंगड़ाई दरस्ल है तेरी अंगड़ाई मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ तेरे रुतबे की तौहीन है ये

Written by: ANJUM JAIPURI, BIPIN-BABULLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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