Sab Kuchh Loota Ke

तालात महमूद

करते रहे ख़िज़ाँ से हम सौदा बहार का बदला दिया तो क्या ये दिया उनके प्यार का सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया दिन में अगर चराग़ जलाये तो क्या किया सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया हम बदनसीब प्यार की रुसवाई बन गये ख़ुद ही लगा के आग तमाशाई बन गये तमाशाई बन गये दामन से अब ये शोले बुझाये तो क्या किया दिन में अगर चराग़ जलाये तो क्या किया सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया ले ले के हार फूलों के आई तो थी बहार नज़रें उठाके हमने ही देखा न एक बार देखा न एक बार आँखों से अब ये परदे हटाये तो क्या किया दिन में अगर चराग़ जलाये तो क्या किया सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया

Written by: Prem Dhawan, RaviLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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