अब के सावन ऐसे बरसे
बह जाये रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे
जम के बरसे जरा
रुत सावन की घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जमके बरसे
अब के सावन ऐसे बरसे
हे बह जाये रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे
जम के बरसे जरा
झड़ी बरखा की लड़ी बूंदों की
लड़ी बूंदों की टूँट के यूँ बरसे
रुत सावन की घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जमके बरसे हे
पहले प्यार की पहली बरखा
कैसी आस जगाये
बारशें पीने दो मुझ को
मन हरा हो जाये
प्यासी धरती प्यासे अरमां
प्यासा है आसमाँ
भीगने दो हर गली को
भीगने दो जहां
अब के सावन ऐसे बरसे
बह जाये रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे
जम के बरसे जरा
रुत सावन की घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जमके बरसे
रुत सावन की घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जमके बरसे
लाज बदरी की बिखर के
मोती बन झर जाये
भीग जाये सजना मेरा
लौट के घर आये
दूरियों का नही ये मौसम
आज है वो कहाँ
मखमली सी ये फुहारें
उड़ रही हैं यहाँ
अब के सावन ऐसे बरसे
बह जाये रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे
जम के बरसे जरा
रुत सावन की घटा सावन की
घटा सावन की ऐसे जमके बरसे
झड़ी बरखा की लड़ी बूंदों की
लड़ी बूंदों की टूँट के यूँ बरसे
रुत सावन की हो घटा सावन की
हां घटा सावन की ऐसे जमके बरसे
झड़ी बरखा की लड़ी बूंदों की
लड़ी बूंदों की टूँट के यूँ बरसे
Written by: ANAND BAKSHI, RAHUL DEV BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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