Piya Tora Kaisa Abhiman

गुलज़ार, शुभा मुदगल

पिया तोरा कैसा अभिमान पिया तोरा कैसा अभिमान आ आ आ किसी मौसम का झौंका था (आ आ) जो इस दीवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है (आ आ) गये सावन में ये दीवारें यूँ सीली नहीं थीं (आ आ) न जाने इस दफ़ा क्यूँ इनमें सीलन आ गयी है (आ आ) दरारें पड़ गयी हैं (आ आ) और सीलन इस तरह बहती है जैसे (आ आ) ख़ुश्क रुख़सारों पे गीले आँसू चलते हों (आ आ) सघन सावन लायी कदम बहार मथुरा से डोली लाये चारों कहार नहीं आये नहीं आये केसरिया बलमा हमार अंगना बड़ा सुनसान ये बारिश गुनगुनाती थी, इसी छत की मुंडेरों पर (आ आ) ये बारिश गुनगुनाती थी, इसी छत की मुंडेरों पर (आ आ) ये घर की खिड़कियों के काँच पर उंगली से लिख जाती थी संदेसे (आ आ) बिलखती रहती है बैठी हुई अब बंद रोशनदानों के पीछे (आ आ) अपने नयन से नीर बहाये अपनी जमुना ख़ुद आप ही बनावे अपने नयन से नीर बहाये अपनी जमुना ख़ुद आप ही बनावे आ आ आ आ दोपहरें ऐसी लगती हैं (आ आ) बिना मोहरों के खाली खाने रखे हैं (आ आ) ना कोई खेलने वाला है बाज़ी (आ आ) और ना कोई चाल चलता है (आ आ) लाख बार उसमें ही नहाये पूरा न होयी अस्नान फिर पूरा न होयी अस्नान सूखे केस रूखे भेस मनवा बेजान न दिन होता है अब न रात होती है सभी कुछ रुक गया है वो क्या मौसम का झौंका था जो इस दिवार पर लटकी हुई तस्वीर तिरछी कर गया है पिया तोरा कैसा अभिमान तोरा, पिया तोरा, तोरा, तोरा कैसा अभिमान पिया तोरा, तोरा, तोरा कैसा अभिमान

Written by: DEBOJYOTI MISHRA, RITUPARNO GHOSHLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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