Rab ka Shukrana
श्रेय सिंघल
तू है अब जो बाँहों में क़रार है
रब का शुक्राना
साँसों में है नशा ख़ुमार है
रब का शुक्राना
तू ही अब मेरा दीन है ईमान है
रब का शुक्राना
मेरा कलमा है तू अज़ान है
रब का शुक्राना
रब का
शुक्राना
तू मिला तो सब मिला, अब किसी से क्या गिला
तुझमें सिमटूँ आ मैं बिखरुँ तेरी बाँहों में
तू मिला तो सब मिला, अब किसी से क्या गिला
तुझमें सिमटूँ आ मैं बिखरुँ तेरी बाँहों में
फ़ना हो जाऊँ मैं
तू ही अब दुनिया मेरी जहान है
रब का शुक्राना
ख़्वाबों की ख़यालों की उड़ान है
रब का शुक्राना
तू ही अब मेरा दीन है ईमान है
रब का शुक्राना
मेरा कलमा है तू अज़ान है
रब का शुक्राना
सब से हो जाऊँ परे, जो इशारा तू करे
अब तो रहना है तुझी में गुमशुदा हूँ मैं
सब से हो जाऊँ परे, जो इशारा तू करे
अब तो रहना है तुझी में गुमशुदा हूँ मैं
ओ तेरी बाँहों में
जज़्बों का अब तो नया बयान है
रब का शुक्राना
नया रूतबा नयी शान है
रब का शुक्राना
तू ही अब मेरा दीन है ईमान है
रब का शुक्राना
मेरा कलमा है तू अज़ान है
रब का शुक्राना
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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