Jahaan Tum Ho

श्रेय सिंघल

जहाँ तुम हो वहीँ मैं हूँ तेरे ना होने से लगता है मैं क्यूँ हूँ जहाँ तुम हो वहीँ मैं हूँ तेरे ना होने से लगता है मैं क्यूँ हूँ तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज सुबह की करवटों सी जो है शाम की हरकतों सी जो है बात भी फुरसतों की जो है वही तुम हो जो आहट खुशियों के जलने की जो राहत नींदों से मिलने की जो आदत ख्वाबों के उड़ने की वही तुम हो तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज मैं शायद हूँ यकीन तुम हो मेरे चेहरे पे ठहरी इक हंसी तुम हो तेरा मिलना यूँ रोजाना लगे साँसों की आदत तुमको दोहराना तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज हवायें तुझसे जो गुजरी हैं मुझे वो सांसें बनके मिली हैं ज़िन्दगी की तरह ठहरी है देखो ना तुम कभी अलफ़ाज़ बनके मेरे ज़रा होंठों पे यूँ रह लेना मैं बोलूं और सुनाई देना हमेशा तुम तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज तू ही मेरा कल है तू ही मेरा आज वो हो हो हो हो हो ओ ओ ओ

Written by: ABHENDRA KUMAR UPADHYAY, SHREY SINGHALLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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