Kuch Dino Se Zindagi

समीर राहत, विभा सराफ

हो हो हो हो कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं देखती है यूँ मुझे ये मुझे जैसे जानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं अगर हँसता है जो मुझपर तो हँसता रहे ये ज़माना अगर हँसता है जो मुझपर तो हँसता रहे ये ज़माना (तो हँसता रहे ये ज़माना) ऐसी बेवकूफ़ियों का मैं कभी बुरा मानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं बेवफ़ा वो राह में जो टकरा गया फिर कहीं बेवफ़ा वो राह में जो टकरा गया फिर कहीं उसको साफ़ कह दूँगी मैं तुम्हें पहचानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं देखती है यूँ मुझे ये मुझे जैसे जानती नहीं कुछ दिनों से ज़िंदगी क्यूं मुझे, पहचानती नहीं

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

Create your own version of your favorite music.

Sing now

Kanto is available on:

google-playapp-storehuawei-store

Related songs