Maine Aesa Kuch Kaviyon Se

Raahi, Amitabh Bachchan

मैंने ऐसा कुछ कवियों से सुन रक्‍खा था जब घटनाएँ छाती के ऊपर भार बनें जब साँस न लेने दे दिल को आज़ादी से टूटी आशाओं के खंडहर, टूटे सपने तब अपने मन को बेचैनी की छंदों में संचित कर कोई गए और सुनाए तो वो मुक्‍त गगन में उड़ने का-सा सुख पाता लेकिन मेरा तो भार बना ज्‍यों का त्‍यों है ज्‍यों का त्‍यों बंधन है, ज्‍यों की त्‍यों बाधाएँ मैंने गीतों को रचकर के भी देख लिया 'वे काहिल है जो आसमान के परदे पर अपने मन की तस्‍वीर बनाया करते हैं 'वे काहिल है जो आसमान के परदे पर अपने मन की तस्‍वीर बनाया करते हैं कर्मठ उनके अंदर जीवन के साँसें भर उनको नभ से धरती पर लाया करते हैं आकाशी गंगा से गन्‍ना सींचा जाता अंबर का तारा दीपक बनकर जलता है जिसके उजियारी बैठ हिसाब किया जाता उसके जल में अब नहीं ख्‍याल नहीं बैठे आते उसके दृग से अब झरती रस की बूँद नहीं मैंने सपनों को सच करके भी देख लिया यह माना मैंने खुदा नहीं मिल सकता है लंदन की धन-जोबन-गर्विली गलियों में यह माना मैंने खुदा नहीं मिल सकता है लंदन की धन-जोबन-गर्विली गलियों में यह माना उसका ख्‍याल नहीं आ सकता है पेरिस की रसमय रातों की रँरलियों में, जो शायर को है शानेख़ुदा जो शायर को है शानेख़ुदा उसमें तुमको शैतानी गोरखधंधा दिखलाई देता पर शेख, भुलावा दो जो भोलें हैं पर शेख, भुलावा दो जो भोलें हैं तुमने कुछ ऐसा गोलमाल कर रक्‍खा था खुद अपने घर में नहीं खुदा का राज मिला मैंने काबे का हज़ करके भी देख लिया

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