Saansein

प्रतीक कुहड़

साँसें मेरी अब बेफिकर हे दिल में बसे कैसे ये पल हे बातें संभल जा रही हैं पलकों में यूँ ही हँसी है मन में छुपी कैसी ये धुन है हर ख्वाहिशें उलझी किधर हैं पैरों से ज़ख्मी ज़मीं है नज़रें भी ठहरी हुई हैं है रुकी हर घड़ी हम हैं चले राहें यहीं ये मंज़िलें हमसे खफ़ा थी इन परछाइयों सी बेवफ़ा थी बाहों में अब खोई हैं रातें हाथों में खुली हैं ये शामें ये सुबह है नयी हम हैं चले राहें यहीं मैं अपने ही मन का हौसला हूँ है सोया जहां पर मैं जगा हूँ मैं पीली सहर का नशा हूँ मैं मदहोश था अब मैं यहाँ हूँ साँसें मेरी अब बेफिकर हैं दिल में बसे कैसे ये पल हैं नगमें खिले हैं अब सारे पैरों तले हैं मशालें थम गयी है ज़मीं हम हैं चले राहें यहीं मैं अपने ही मन का हौसला हूँ है सोया जहां पर मैं जगा हूँ मैं अपने ही मन का हौसला हूँ है सोया जहां पर मैं जगा हूँ

Written by: PRATEEK KUHADLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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