Halki Halki Si Baarish
Pankaj Udhas
हल्की हल्की सी बारिश हो
हल्की हल्की सी बारिश हो
नर्म हावके झोंके हो
निखरे निखरे से ताज़ा दान
हरियाली के चेहरे हो
काश कभी ऐसा हो जाए
काश कभी ऐसा हो जाए
हल्की हल्की सी बारिश हो
बारिश की पहली सांसो में
मिट्टी की अंगड़ाई हो
गहरे गहरे बादल
पेड़ों की शाखों से उलझे हो
मौसम के पहले फूलो की
खुसबू ख़ान से आती हो
और तुम्हारी मुश्कनो में
महके महके वेड हो
काश कभी ऐसा हो जाए
हल्की हल्की सी बारिश हो
चाँद किसी भीगी चिड़िया सा
मेरी च्चत पर बैठा हो
आबरा हावके बहकावे में
बस्ती बस्ती फिरते हो
टिप टिप की आवाज़ खामोशी को
गहरा गहरा कर जाती हो
सन्नाटे सुनके हम दोनो
बेखुद होकर बैठे हो
काश कभी ऐसा हो जाए
हल्की हल्की सी बारिश हो
रात किसी टूटी च्छतरी सी
ताप ताप करके तपकी हो
दिन भीगे भीगे पांच्ची जैसे
सहमे सहमें लगते हो
घुटने घुटने तक
पानी में चल कर
आए कोई सुबह सुबह
और रात की नींद ओढकर
बेसूड होकर सोते हो
काश कभी ऐसा हो जाए
हल्की हल्की सी बारिश हो
नर्म हावके झोंके हो
निखरे निखरे से ताज़ा दान
हरियाली के चेहरे हो
काश कभी ऐसा हो जाए
काश कभी ऐसा हो जाए
हल्की हल्की सी बारिश हो
Written by: Pankaj Udhas, Prashant VaslLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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