Gham Ki Jo Ghata
Pankaj Udhas
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
बरसे भी तो कुच्छ ऐसे के
खुशी देख के तरसे
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
मरने का नही ख़ौफ़
अगर दर्र हैं तो इतना
मरने का नही ख़ौफ़
अगर दर्र हैं तो इतना
निकले ना मेरी लाश
कहीं आपके घर से
निकले ना मेरी लाश
कहीं आपके घर से
बरसे भी तो कुच्छ ऐसे के
खुशी देख के तरसे
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
मंज़िल ने तो हर काम पे
रह रह के पुकारा
मंज़िल ने तो हर काम पे
रह रह के पुकारा
उलझे ही रहे लोग यहाँ
राह गुजर से
उलझे ही रहे लोग यहाँ
राह गुजर से
बरसे भी तो कुच्छ ऐसे के
खुशी देख के तरसे
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
ख्वायब में मंज़ूर नही
डूब ना अंजुम
ख्वायब में मंज़ूर नही
डूब ना अंजुम
अच्छा हैं गुज़र जाए ये
पानी मेरे सर से
अच्छा हैं गुज़र जाए ये
पानी मेरे सर से
बरसे भी तो कुच्छ ऐसे के
खुशी देख के तरसे
घाम की जो घटा आए तो
फिर झूम के बरसे
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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