Jheel Mein Chand Nazar Aaye

पंकज उधास

झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी कब से आँखों मे लिए बैठा हू सूरत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी एक दिन मेरे किनारो मे सिमट जाएगी एक दिन मेरे किनारो मे सिमट जाएगी ठहरे पानी सी ये खामोश मोहब्बत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नही बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नही फ़ासले और बढ़ा देती है कुरबत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी किसने जाना है बदलते मौसम का मिज़ाज़ किसने जाना है बदलते मौसम का मिज़ाज़ उसको चाहो तो समझ पाओगे फ़ितरत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी

Written by: MUMTAZ RASHID, PANKAJ UDHASLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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