Zikr Tera

Mohammed Irfan

हा हा हा हा महरम सा लगे लफ्ज़ हर तेरा मुझको मंज़िलों का मिल गया है रास्ता तुझसे जो जुड़ा है इस दिल का राबता साँसों को मिला है धड़कनो का कारवाँ इक शिफा सा लगे तू मेरे दर्द का तू मेरा है जहाँ तू सुकून रूह का तुझको पाके दिल मेरा ये हो गया है जावेदा ज़िक्र तेरा आयतों सा तू लगे है राहतों सा तू सुकु है चाहतों का बाखुदा ज़िक्र तेरा आयतों सा तू लगे है राहतों सा तू सुकु है चाहतों का बाखुदा तुझको पाके इस दिल को जन्नते हैं मिली इश्क़ को मेरे तुझसे रौनके हैं मिली रुक गया तुझ पे मैं तो छोड़ के ये जहाँ मेरी तन्हाइयों को रहमतें हैं मिली शुक्र तेरा ए ख़ुदाया हो गया यूँ मेहरबान ज़िक्र तेरा आयतों सा तू लगे है राहतों सा तू सुकु है चाहतों का बाखुदा ज़िक्र तेरा आयतों सा तू लगे है राहतों सा तू सुकु है चाहतों का बाखुदा आसमान को तू मेरे चांदनी सा लगा शबनमी मौसम की तरह मुझ में तू है बसा ख्वाहिशों के साहिलों पे मुझको तू है दिखा दिल की सुखी ज़मीन पे बारीशों सा गिरा शुक्र तेरा ए ख़ुदाया हो गया यूँ मेहरबान ज़िक्र तेरा आयतों सा तू लगे है राहतों सा तू सुकु है चाहतों का बाखुदा ज़िक्र तेरा आयतों सा (आ आ आ) तू लगे है राहतों सा (आ आ आ) तू सुकु है चाहतों का (आ आ आ) बाखुदा (आ आ आ)

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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