Kahane Ki Aarzoo
मोहम्म्मद अज़ीज़
आदाब
शयते की ग़ज़ल की खिदमत में अल्ट्रा सीरीज की
जानक से उरख़लूक़ सलाम
शामिन यद् आपने ग़ज़ल की मेहफिलिमो सिकत
की होगी ये ऑडियो कैसेट पर लाइव कॉन्सर्ट
आनद उठाया होगा मगर आज हम ये नायब
अल्ट्रा सीरीज कैसेट के ज़रिये
एक ऐसी महफिले ग़ज़ल से आपको लुकत करवाना चाहते है
जिसमे ग़ज़लों की मोतियों को यु पिरोया गया है के
एक खूबसूरत दस्ता ऐ महोब्बत बन गई है
ये ग़ज़ल वाशी के जादूगर नदीम श्रवण की लाजवाब
पण की बेहतरीन मिसाल है
साजो में वो अदा है की धड़कनो बेकाबू हो
दोनों में वो नशा है जैसे जगता जादू हो
और उसपर इन जादुओं की ग़ज़लों पे चढ़ा है
महोब्बत का खुमार
तो आइये शुरू करे महोब्बत का बयां ग़ज़लों की ज़ुबान
कलां है जनाब हसन जयपुरी का
ग़ज़ल सर अला आबिज़ महमद अली
कहने की आरज़ू हैं ये
एक बार आपसे
कहने की आरज़ू हैं ये
एक बार आपसे
मिलते ही हो गया हैं ये
हमें प्यार आप से
हाए कहने की आरज़ू हैं ये
एक बार आपसे
सबकुछ तो आपसे मेरी
नज़रो ने कह दिया
सबकुछ तो आपसे मेरी
नज़रो ने कह दिया
अब हाल क्या छुपौ मैं
दिल दर आपसे
मिलते ही हो गया हैं
हमे प्यार आप से
हाए कहने की आरज़ू हैं
एक बार आपसे
ख्वाबो के दौर में ही तो
अक्सर मिले हैं हम
ख्वाबो के दौर में ही तो
अक्सर मिले हैं हम
ना जाने कैसे हो गया
इकरार आपसे
मिलते ही हो गया हैं ये
हमें प्यार आप से
हाए कहने की आरज़ू हैं ये
एक बार आपसे
कहने की आरज़ू हैं ये
एक बार आपसे
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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