Mere Samne Wali Khidki

Himanshi

जिस रोज़ से देखा है उसको हम शमां जलाना भूल गए जिस रोज़ से देखा है उसको हम शमां जलाना भूल गए दिल थाम के ऐसे बैठे हैं कहीं आना-जाना भूल गए अब आठ पहर इन आँखों में वो चंचल मुखड़ा रहता है मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है बरसात भी आकर चली गई बादल भी गरज कर बरस गए बरसात भी आकर चली गई बादल भी गरज कर बरस गए पर उसकी एक झलक को हम ऐ हुस्न के मालिक तरस गए कब प्यास बुझेगी आँखों की दिन रात ये दुखड़ा रहता है मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है अफ़सोस ये है के वो हमसे कुछ उखड़ा-उखड़ा रहता है मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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