Ajib Dastan Hai Yeh
Himanshi, Sanjay S Yadav
अजीब दास्तां है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम
अजीब दास्तां है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम
दास्ताँ ये जो भी है तुझसे साँझा मैं करुँ
दास्ताँ ये जो भी है तुझसे साँझा मैं करुँ
ये रोशनी के साथ क्यों, धुआं उठा चिराग से
ये ख़्वाब देखती हूँ मैं कि जग पड़ी हूँ ख़्वाब से
मुबारकें तुम्हें कि तुम किसी के नूर हो गए
किसी के इतने पास हो कि सबसे दूर हो गए
अजीब दास्तां है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम
अजीब दास्तां है ये, कहाँ शुरू कहाँ ख़तम
ये मंज़िले हैं कौनसी, न वो समझ सके न हम
Written by: SHAILENDRA, Shankar-JaikishanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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