Mere Mehboob

Himanshi

तेरी गली मैं आता सनम नगमा वफ़ा का गाता सनम तुझसे सुना ना जाता सनम फिर आज इधर आया हूँ मगर ये कहने मैं दीवाना ख़त्म बस आज ये वहशत होगी आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी मेरे महबूब क़यामत होगी आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी मेरी तरह तू आहें भरे तू भी किसी से प्यार करे और रहे वो तुझसे परे तूने ओ सनम ढायें हैं सितम तो ये तू भूल न जाना के ना तुझपे भी इनायत होगी आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी मेरे महबूब क़यामत होगी आज रुसवा तेरी गलियों में मोहब्बत होगी

Written by: Anand BakshiLyrics © Universal Music Publishing Group, Royalty Network, O/B/O DistroKid, Sentric MusicLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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