Na Tum Hamein Jaano

सुमन कल्याणपुर, हेमंत कुमार

हम्म हम्म मगर लगता है कुछ ऐसा अहंम मिल गया न तुम हमें जानो न हम तुम्हें जानें मगर लगता है कुछ ऐसा मेरा हमदम मिल गया ये मौसम ये रात चुप है ये होंठों की बात चुप है खामोशी सुनाने लगी है दास्तां ये मौसम ये रात चुप है ये होंठों की बात चुप है खामोशी सुनाने लगी है दास्तां नज़र बन गई है दिल की ज़बां न तुम हमें जानो आ न हम तुम्हें जानें आ मगर लगता है कुछ ऐसा आ मेरा हमदम मिल गया आ मुहब्बत के मोड़ पे हम मिले सबको छोड़ के हम धड़कते दिलों का ले के ये कारवाँ मुहब्बत के मोड़ पे हम मिले सबको छोड़ के हम धड़कते दिलों का ले के ये कारवाँ चले आज दोनों जाने कहाँ न तुम हमें जानो न हम तुम्हें जानें मगर लगता है कुछ ऐसा मेरा हमदम

Written by: MAJROOH SULTANPURI, S.D. BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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