Qismat Ki Hawa Kabhi Naram

सी रामचंद्र

कभी काली रतिया कभी दिन सुहाने किस्मत की बाते तो किस्मत ही जाने ओ बेटा जी ओ बेटा जी अरे ओ बाबू जी किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी बड़ी अकड़ से बेटा निकले घर से एक्टर होने वाह री किस्मत वाह री किस्मत किस्मत में थे लिखे बरतन धोने अरे भई लिखे बरतन धोने ओ बेटा जी जीने का मज़ा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी अरे ओ बाबू जी किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी दुनिया के इस चिड़िया घर में तरह तरह का जलवा मिले किसी को सूखी रोटी किसी को पूरी हलवा अरे भई किसी को पूरी हलवा ओ बेटा जी खिचड़ी का मज़ा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी दर्द दिया तो थोड़ा थोड़ा खुशी भी थोड़ी थोड़ी वाह रे मालिक वाह रे मालिक दुःख और सुख की खूब बनायी जोड़ी अरे वाह खूब बनायी जोड़ी ओ बेटा जी जीवन का नशा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी अरे ओ बाबू जी किस्मत की हवा कभी नरम कभी गरम कभी नरम नरम कभी गरम गरम कभी नरम गरम नरम गरम रे ओ बेटा जी

Written by: CHITALKAR RAMCHANDRA, RAJINDER KRISHANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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