Bebas Ankhen Soch Rahi Hain

Bhupinder Singh

बेबस आँखें सोच रही हैं क्या उभरा क्या डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं क्या उभरा क्या डूब गया एक मेरी किस्मत का तारा एक मेरी किस्मत का तारा निकाला चमका डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं तुम तो पल दो पल को आए प्यास जगा कर चले गये तुम तो पल दो पल को आए प्यास जगा कर चले गये प्यास जगा कर चले गये यूयेसेस शब मुझको नींद ना आई यूयेसेस शब मुझको नींद ना आई इक इक सपना डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं तुम को नसीम अपना ही घूम हैं लेकिन ये क्यूँ भूल गये तुम को नसीम अपना ही घूम हैं लेकिन ये क्यूँ भूल गये लेकिन ये क्यूँ भूल गये वक़्त के इश्स घहरे सागर में वक़्त के इश्स घहरे सागर में जाने क्या क्या डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं क्या उभरा क्या डूब गया एक मेरी किस्मत का तारा एक मेरी किस्मत का तारा निकाला चमका डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं क्या उभरा क्या डूब गया बेबस आँखें सोच रही हैं

Written by: AJMERI NASEEM, BHUPENDER SINGHLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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