Kuch Na Kaho Kuch Bhi Na Kaho

अरिंदम गन चौधरी, Tunai Debasish Ganguly, R.D. Burman

कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो क्या कहना है क्या सुनना है मुझको पता है तुमको पता है समय का ये पल थमसा गया है और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ, बस एक तुम हो कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो कितने गहरे हल्के शाम के रंग हैं छलके पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके कितने गहरे हल्के शाम के रंग हैं छलके पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन महके महके शाम के साये पिघले पिघले तन मन सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन महके महके शाम के साये पिघले पिघले तन मन और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो क्या कहना है क्या सुनना है मुझको पता है तुमको पता है समय का ये पल थम सा गया है और इस पल में कोई नहीं है बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो कुछ ना कहो कुछ भी ना कहो

Written by: Akhtar Javed, R D BurmanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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