Kuttey

Vishal Bhardwaj, Rekha Bhardwaj, Faiz Ahmad Faiz

भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो यह गलियों के आवारा बेकार कुत्ते भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो के बक्षा गया जिनको ज़ौक़-ए-गड़ाई भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो ज़माने की फटकार सरमाया इनका जहाँ भर के धुतकार इनकी कमाई भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो ना आराम शब को, ना राहत सवेरे गलाजत मे घर, नालियों मे बसेरे जो बिगड़े तो एक दूसरे को लड़ा दो ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो यह हर एक की ठोकरें खाने वाले यह पाकों से उकता के मार जाने वाले मज़लूम, मखलूक़ गर सर उठाए तो इंसान सब सरकाशी भूल जाए यह चाहे तो दुनिया को अपना बना लें भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो यह आएमओ की हड्डियाँ तक चबा लें भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो कोई इनको एहसास ज़िल्लत दिला दे कोई इनकी सोई हुई दूं हिला दे भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो भो

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