Durge Durghat Bhari

वैशाली सामंत, वैशाली सावंत

नमस्थे शरण्ये शिवे सानुकंपी नमस्थे जगद व्यापिके विस्वरूपे नमस्थे जगद वंध्या पादराविन्ध्ये नमस्थे जगत तारिणी त्राही दुर्गे नमस्थे शरण्ये शिवे सानुकंपी नमस्थे जगद व्यापिके विस्वरूपे नमस्थे जगद वंध्या पादराविन्ध्ये नमस्थे जगत तारिणी त्राही दुर्गे नमस्थे नमस्थे नमस्थे दुर्गे दुर्गटभारी तुजविण संसारी अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी वारी वारी जन्म मरणांतें वारी हारी पडलो आता संकट निवारी जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी त्रिभुवनी भुवनी पाहता तुज ऐसे नाही चारी श्रमले परंतु न बोलवे काही साही विवाद करता पडले प्रवाही ते तू भक्तांलागी पावसि लवलाही जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी प्रसन्नवदने प्रसन्न होशी निजदासा क्लेशापासुन सोडी तोडी भवपाशा अंबे तुजवाचून कोण पुरवील आशा नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी सुरवर ईश्वरदे तारक संजीवनी जय देवी जय देवी

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