Birhan Ke Nain Jala
Shubha Mudgal
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मान तरसे
बावरी तडपे तो मगर
जाए खा घर से
रातो की घड़िया है
के है काटो भारी सेज्जे
रातो की घड़िया है
के है काटो भारी सेज्जे
दिन का उजाला है के
अंबार से अगन बरसे
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मॅन तरसे
ज़ल रहा ह टन बदन
मई पीड़ा का लाओ
आआ, दर्द की नदी में
डूबती है मॅन की नाव
ऐसी गत है यह डस्सा है
इस दुखी बिरहन की
जैसे कोई नोच के पर
छोड़ जाए पंछी
सोकी नदी
जैस्से के मिल पाए
ना सागर से
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मॅन तरसे
रातो की घड़िया है
के है काटो भारी सेज्जे
रातो की घड़िया है
के है काटो भारी सेज्जे
दिन का उजाला है के
अंबार से अगन बरसे
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मॅन तरसे
सोने सोने दिन है र
काली काली रैना
हाअ दर्द के पकाल से
आते है जैसे बेना
मॅन पे लगा ऐसा भी है
घाव भरा करी
अप्पर से चल रही है
सास्सो की यह आरी
चुप है भर से बिरहन
रोटी है अंदर से
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मॅन तरसे
रातो की घड़िया है
के है काटो भारी सेज्जे
रातो की घड़िया है
के है कांतो भारी सेज्जे
दिन का उजाला है के
अंबार से अगन बरसे
बिरहन के नैन जले
दुख भरा मॅन तरसे
मॅन तरसे, मॅन तरसे
मॅन तरसे मॅन तरसे.
Written by: Akhtar Javed, Shantanu MoitraLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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