Fakeera

शशि सुमन, Raja Hasan

भटके रोज़ पपीहा रे आ आ आ भटके रोज़ पपीहा पर प्यास बुझा ना पाए रे आग में एक पतंगे की भाँति ये जल जाए रे बेचैनियों में भागे बेचैनियों में भागे रे काहे को रैना जागे रे खाली सा जग ये लागे रे टूटे है मोह के धागे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे आ आ आ चलते चलते शाम सहर दिन धूप ढली ये रैना आ आ चलते चलते शाम सहर दिन धूप ढली ये रैना खुद को ढूँढके चारो दिशाओं में तक गये हैं ये नैना सुख दुख दोनो हुवे पराए सुख दुख दोनो हुवे पराए लागे किसी का वियोग ना ऐसी मन की तृष्णा है की ऐ ऐ ऐ ऐ ऐसी मन की तृष्णा है की सब फरेब सा लागे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे मन फकीरा चैन ना पावे (मन फकीरा चैन ना पावे)

Written by: KHUSHI, SARDARAA, SHASHILyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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