Abhi ghanimat hai sabr mera

Rahat Indori

अभी गनीमत है सब्र मेरा अभी लबालब भरा नहीं हूँ अभी गनीमत है सब्र मेरा अभी लबालब भरा नहीं हूँ वो मुझको मुर्दा समझ रहा है वो मुझको मुर्दा समझ रहा है उसे कहो मैं मरा नहीं हूँ वो कह रहा है के कुछ दिनों में मिटा के रख दू गा नस्ल तेरी वो कह रहा है के कुछ दिनों में मिटा के रख दू गा नस्ल तेरी है उसकी आदत डरा रहा है है उसकी आदत डरा रहा है है मेरी फितरत डरा नहीं हु मै है मेरी फितरत डरा नहीं हु मै

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