Khud Ki Khatir Na Zamane Ke Liye
पंकज उधास
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
क़र्ज़ मिट्टी का चुकाने के लिए ज़िंदा हू
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
किसको फ़ुर्सत जो मेरे जख्म गिने बात सुने
किसको फ़ुर्सत जो मेरे जख्म गिने बात सुने
खाक हू खाक उड़ाने के लिए ज़िंदा हू
क़र्ज़ मिट्टी का चुकाने के लिए ज़िंदा हू
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
रूह आवारा ना भटके ये किसी की खातिर
रूह आवारा ना भटके ये किसी की खातिर
सारे रिश्तों को भूलने के लिए ज़िंदा हू
क़र्ज़ मिट्टी का चुकाने के लिए ज़िंदा हू
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
लोग जीने के गरजमंद बहुत है लेकिन
लोग जीने के गरजमंद बहुत है लेकिन
मैं मसीहा को बचाने के लिए ज़िंदा हू
मैं मसीहा को बचाने के लिए ज़िंदा हू
क़र्ज़ मिट्टी का चुकाने के लिए ज़िंदा हू
खुद की खातिर ना जमाने के लिए ज़िंदा हू
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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