Kabhi Saya Hai Kabhi Dhoop
पंकज उधास
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
रोता रहता हैं यूँही क़र्ज़ बराबर मेरा
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
कभी साया है
टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझ में
डूब जाता हैं कभी मुझ में समंदर मेरा
डूब जाता हैं कभी मुझ में समंदर मेरा
कभी साया है
कितने हसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
कितने हसते हुए मौसम अभी आते लेकिन
एक ही धूप ने खुंधला दिया मंज़र मेरा
एक ही धूप ने खुंधला दिया मंज़र मेरा
कभी साया है
बावफ़ा था तो मुझे पूछनेवाले भी ना थे
बावफ़ा था तो मुझे पूछनेवाले भी ना थे
बेवफा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा
बेवफा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
रोता रहता हैं यूँही क़र्ज़ बराबर मेरा
कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा
कभी साया है
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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