Hum Jaise Tanha Logon Ka

Pankaj Udhas

जो पुचछता है कोई सुर्ख क्यों है आज आँखें तो आँख मलके मैं कहता हूँ रात सो ना सका हज़ार चाहु मगर यह ना कह सकूँगा कभी के रात रोने की ख्वाहिश थी मगर रो ना सका हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या जब चाहनेवाला कोई नहीं जब चाहनेवाला कोई नहीं फिर जीना क्या मार जाना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या सौ रंग में जिसको सोचा था सौ रूप में जिसको चाहा था सौ रंग में जिसको सोचा था सौ रूप में जिसको चाहा था सौ रूप में जिसको चाहा था वो जाने गाज़ल तो रूठ गयी अब उसका हाल सुनाना क्या वो जाने गाज़ल तो रूठ गयी अब उसका हाल सुनाना क्या जब चाहनेवाला कोई नहीं जब चाहनेवाला कोई नहीं फिर जीना क्या मार जाना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या आवाज़ किसिको दे लेकिन एक नाम तुम्हारा होंतों पर आवाज़ किसिको दे लेकिन एक नाम तुम्हारा होंतों पर एक नाम तुम्हारा होंतों पर हर शकल से उभरो तुम ही तुम यूँह खुद को मगर बहलाना क्या हर शकल से उभरो तुम ही तुम यूँह खुद को मगर बहलाना क्या जब चाहनेवाला कोई नहीं जब चाहनेवाला कोई नहीं फिर जीना क्या मार जाना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या राअतों का सफ़र है दिन के लिए और दिल में तमन्ना रातों की राअतों का सफ़र है दिन के लिए और दिल में तमन्ना रातों की और दिल में तमन्ना रातों की जब पावं में रास्ते खो जाए फिर रुकना क्या घर जाना क्या जब पावं में रास्ते खो जाए फिर रुकना क्या घर जाना क्या जब चाहनेवाला कोई नहीं जब चाहनेवाला कोई नहीं फिर जीना क्या मार जाना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या जब चाहनेवाला कोई नहीं जब चाहनेवाला कोई नहीं फिर जीना क्या मार जाना क्या हम जैसे तन्हा लोगों का अब रोना क्या मुस्काना क्या

Written by: IFTEKHAR IMAM, PANKAJ UDHASLyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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