Ek Husne Benaqab
पंकज उधास
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
कल रात खुद शराब ने मुझसे कहा के पी
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
उसके बदन की शाख ने राह मेरी रोक ली
उसके बदन की शाख ने राह मेरी रोक ली
राह मेरी रोक ली
होंठो के दो गुलाब ने मुझसे कहा के पी
होंठो के दो गुलाब ने मुझसे कहा के पी
कल रात खुद शराब ने मुझसे कहा के पी
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
रुखसार लब निगाह बदन सब शराब थे
रुखसार लब निगाह बदन सब शराब थे
सब शराब थे
प्यासे हर एक खाब ने मुझसे कहा के पी
प्यासे हर एक खाब ने मुझसे कहा के पी
कल रात खुद शराब ने मुझसे कहा के पी
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
खुश्बू भरे वारक थे जो खुलते चले गये
खुश्बू भरे वारक थे जो खुलते चले गये
खुलते चले गये
मस्ती भरी किताब ने मुझसे कहा के पी
मस्ती भरी किताब ने मुझसे कहा के पी
कल रात खुद शराब ने मुझसे कहा के पी
एक हुस्ने बेनकाब ने मुझसे कहा के पी
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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