Itna Qareeb Aakar

Anup Jalota, Pamela Singh

इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो बिखरी जहाँ हैं मस्ती हर एक कदम कदम पे बिखरी जहाँ हैं मस्ती हर एक कदम कदम पे उन रस्तो पे लाकर क्यूँ डोर जेया रहे हो उन रस्तो पे लाकर क्यूँ डोर जेया रहे हो हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो देखो वो चाँद जुक कर बादल को च्छुन रहा हैं देखो वो चाँद जुक कर बादल को च्छुन रहा हैं तुम हाथ फिर च्छुदा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो तुम हाथ फिर च्छुदा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो ये सर्द रात सबनम बन कर पीगाल रही हैं ये सर्द रात सबनम बन कर पीगाल रही हैं इक आग सी लगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इक आग सी लगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो ये रात ढाल ना जाए मोसां बदल ना जाए ये रात ढाल ना जाए मोसां बदल ना जाए दीवानगी बढ़ा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो दीवानगी बढ़ा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो एक प्यास सी जगा कर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो इतना क़रीब आकर क्यूँ डोर जेया रहे हो.

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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