Manzil Na Rahi Koi
Anup Jalota
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
मरने की कोई राह निकाली नहीं जाती
मरने की कोई राह निकाली नहीं जाती
मरने की कोई राह निकाली नहीं जाती
जीने के लिए कोई बहना भी नहीं है
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
अब मेरे सिवा कोई निशाना भी नहीं है
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
ये शहर गनीमत है कहाँ जाओंगे राही
ये शहर गनीमत है कहाँ जाओंगे राही
ये शहर गनीमत है कहाँ जाओंगे राही
वो लोग नहीं है वो जमाना भी नहीं है
वापस मुझे घर लौट के जाना भी नहीं
मंजिल ना रही कोई ठिकाना भी नहीं है
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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