Main Aashiq Hoon Baharon Ka
Mukesh
मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ
जवाँ धरती के अनजाने किनारों का
मैं आशिक हूँ बहारों का
सदियों से जग में आता रहा मैं
नये रंग जीवन में लाता रहा मैं
हर एक देस में, नीत नये भेस में
मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ
जवाँ धरती के अनजाने किनारों का
मैं आशिक हूँ बहारों का
कभी मैने हँस के दीपक जलाये
कभी बन के बादल आँसू बहाये
मेरा रास्ता, प्यार का रास्ता
मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ
जवाँ धरती के अनजाने किनारों का
मैं आशिक हूँ बहारों का
चला गर सफ़र को कोई बेसहारा
तो मैं हो लिया संग लिये एकतारा
गाता हुआ, दु:ख भूलाता हुआ
मैं आशिक हूँ बहारों का, नज़ारों का, फिजाओं का, इशारों का
मैं मस्ताना मुसाफिर हूँ
जवाँ धरती के अनजाने किनारों का
मैं आशिक हूँ बहारों का
Written by: SHAILENDRA, Shankar-JaikishanLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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