Naino Ke Pokhar
विपिन पटवा, मोहम्मद इर्फान
उलझी सी इक डोर है कोई
ख़ामोशी में शोर है कोई
किसको ये बतलाये क्या दिल पूछे अब मेरा
उलझी सी इक डोर है कोई
ख़ामोशी में शोर है कोई
किसको ये बतलाये क्या दिल पूछे अब मेरा
पलकों से झरने क्यूँ फूटते है
नैनों के पोखर क्यूँ सूखते है
अश्क़ों में सपने बेह जाते है क्यूँ
वादे अधूरे रह जाते है क्यूँ
क्यूँ होता है एहसास खोने का
क्यूँ होता है मैं जानूँ ना
क्यूँ होता है ग़म किसी के खोने का
क्यूँ होता है मैं जानूँ ना
साँसे बेगानी हो गई है
धड़कन पराई सी लगे
वो सारी फिज़ाओं में यहाँ अब
कोई रुसवाई सी लगे
ख़्वाबों के मोती क्यूँ तूटते है
खुशियों के मौसम क्यूँ रूठते है
बिन बोले नैना कह जाते है क्यूँ
अल्फ़ाज़ होठों पे रह जाते है क्यूँ
क्यूँ होता है एहसास खोने का
क्यूँ होता है मैं जानूँ ना
क्यूँ होता है ग़म किसी के खोने का
क्यूँ होता है मैं जानूँ ना
उलझी सी इक डोर है कोई
ख़ामोशी में शोर है कोई
किसको ये बतलाये क्या दिल पूछे अब मेरा
उलझी सी इक डोर है कोई
ख़ामोशी में शोर है कोई
किसको ये बतलाये क्या दिल पूछे अब मेरा
Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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