Bhaang Ragad Ke
विपिन पटवा, विकास कुमार
तू राजा की राज दुलारी
मैं सिर्फ लंगोट ाल सु
भांग रगड़ के पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सुं लूप
तेरे सो सो डार्सी दास रहे
मेरे इक भी दासी दास नहीं
क्यां के सारे जी लावेगी
शतरंज चौपड़ ताश नहीं
तू स्यल दुशाले धन ली
मेरा कंबल तक भी पास नहीं
तू बाघन की कोयल से अदेय
बर्फ पड़ी हरी घास नहीं
तू साहुकारी गुजरे ली
मैं ख़ासी कोठे ला सु
भांग रगड़ कर
भांग रगड़ कर
भांग रगड़ कर पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सु
ए भांग रगड़ के पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सुं लूप
मैं अव्दूत दरसनि बाबा
राग देख के डर जाएगी
पांच धुनिया के बीच टापू मेरी
आग देख के डर जाएगी
मैं तोह राख घोल के पिया करून
मेरी भाग देख के डर जाएगी
मेरे सो सो नाग पड़े रहे गाल में
नाग देख के डर जाएगी
एक कर मंडल एक कटोरा
मैं फ़ूटे लोटे ाला सु
भांग रगड़ कर
भांग रगड़ कर
भांग रगड़ कर पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सु
भांग रगड़ के पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सुं लूप
भांग रगड़ के पिया करूँ मैं
कुण्डी सोटे आला सुं लूप
किसे राजा गेल्या साडी कार्डियो
मेल मिलाना ठीक नहीं
जउन सा खेल खिलाना चाहे
खेल खिलाना ठीक नहीं
जिसकी दोनों धार हो पानी
सेल चलना ठीक नहीं
मैं भांग धतूरा प्रिय करून
मैंने तेल पिलाना ठीक नहीं
मांगे राम बोच मरजंगी मैं
जबर भरोटे ला सु
भांग रगड़ कर
Written by: MANGE RAM, VIPIN PATWALyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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