Jai Janani Jai Bharat Maa
महेंद्र कपूर
बगावत का खुला पैगाम देता हूँ जवानों को
अरे उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
उठो गागा की गोदी से
उठे सतलुज के साहिल से
उठो दक्खन के सीने से
उठो बगाल के दिल से
निकालो अपनी धरती से
बिदेशी हुक्मरानों को
उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
ख़िज़ाँ की क़ैद से उजड़ा
चमन आज़ाद कराना है
हमें अपनी ज़मी अपना
वतन आज़ाद कराना है
जो गद्दारी सिखाये
खींच लो उनकी ज़बानो को
उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
ये सौदागर जो इस धरती
पे कब्ज़ा कर के बैठे है
हमारे खून से अपने
खजाने भर के बैठे है
इन्हे कह दो के अब वापस
करे सारे ख़ज़ानों को
उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जो इन खेतो का दाना
दुश्मनो के काम आना है
जो इन कानो का सोना
अजनबी देशो को जाना है
तो फूंको सारी फसलों को
जला दो साड़ी कानो को
उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
जय जननी जय भारत माँ
बहुत झेली गुलामी की
बलाये अब न झेलेंगे
बहुत झेली गुलामी की
बलाये अब न झेलेंगे
चढेगे फांसियों पर
गोलियों को हँस के झेलेगे
चढेगे फांसियों पर
गोलियों को हँस के झेलेगे
उन्ही पर मोड़ देंगे
उनकी तोपों के दहानो को
उन्ही पर मोड़ देंगे
उनकी तोपों के दहानो को
उठो उठ कर मिटा दो
तुम ग़ुलामी के निशानों को
Written by: N DUTTA, SAHIR LUDHIANVILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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