Bheetar Bheetar Khaye
Mukesh, महेंद्र कपूर
भीतर भीतर खाए चलो
बाहर शोर मचाये चलो
भीतर भीतर खाए चलो
बाहर शोर मचाये चलो
भेद कौन खोलेगा
मुंह से कौन बोलेगा
भीतर भीतर खाए चलो (भीतर भीतर खाए चलो)
बाहर शोर मचाये चलो (बाहर शोर मचाये चलो)
जनता भोली भाली है
पेट भी जेब भी खाली है
नारों से गरमा दो लहु
वादों से बहलाए चलो
वादों से बहलाए चलो
भीतर भीतर खाए चलो
बाहर शोर मचाये चलो
बढती जाये है मेहंगाई
घटती जाये है कमाई
चीज़ों के दाम बढ़ाये चलो
इंसा का भाव गिराये चलो
इंसा का भाव गिराये चलो
भीतर भीतर खाए चलो
बाहर शोर मचाये चलो
हाथों में कुछ नोट लो
हाथों में कुछ नोट लो
फिर चाहो जितने वोट लो
खोटे से खोटा काम करो
बापू को नीलाम करो
अरे बापू की तस्वीर है ये
तेरे बाप की क्या जागिर है ये
बापू बापू करते रहो
ज़ेहर दिलो में भरते रहो
बस्ती बस्ती आग लगे
हर इंसान इक नाग लगे
प्रांत प्रांत को तंग करे
भाषा से भाषा जंग करे
कोई यहाँ मलियाली
कोई यहाँ बंगाली
गुजराती है कोई यहाँ
पंजाबी है कोई यहाँ
ये है मराठा और वो तमिल
आपस में यारी है मुश्किल
सब को चाहिए अपनी ज़मी
हिंदुस्तानी कोई नहीं
हिंदुस्तानी कोई नहीं
हिंदुस्तानी कोई नहीं
देश कहा अब देश रहा
देश कहा अब देश रहा
देश तो सीमाओ में बटा
और भी तुकडे उड़ाये चलो
कुर्सी अपनी बचाये चलो
कुर्सी अपनी बचाये चलो
भीतर भीतर खाए चलो
बाहर शोर
Written by: KAIFI AZMI, KHAIYYAAM, MOHAMMED ZAHUR KHAYYAM, MOHD. RAFILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
Create your own version of your favorite music.
Sing now