Raja Haveli Ki Khidki Zara Kholna

Lata Mangeshkar

म्हरी मो महल हालो नि साथीड़ा रे देश साथीड़ा रे देश ह ह ह ह बनजी सुनो जी महाराज ह ह ह ह आह आ आ आ आ आह आ आ आ आ आह आ आ आ आ राजा हवेली की खिड़की ज़रा खोलना रे खिड़की खोलना रे खिड़की खोलना रे राजा हवेली की खिड़की ज़रा खोलना रे खिड़की खोलना रे खिड़की खोलना रे हो ओ ओ ओ ओ ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म ह्म तारों भरी रातें होंगी ई ई ई तारों भरी रातें होंगी धीरे धीरे बाते होंगी तारों भरी रातें होंगी धीरे धीरे बाते होंगी सुनले न सबकी राजा आ आ आ सुनले न सबकी राजा राजा नहीं बोलना रे खिड़की खोलना रे हाँ हाँ खोलना रे खिड़की खोलना रे राजा हवेली की खिड़की ज़रा खोलना रे हाँ हाँ खोलना रे खिड़की खोलना रे मैं तेरी बगिया में ए ए ए मैं तेरी बगिया में बहारो के पीछे आऊँ बहारो के पीछे जाना इशारो के पीछे जाना बहरो के पीछे जाना इशारो के पीछे जाना बागबा को छोड़ कही ई ई बागबा को छोड़ कही नहीं ङोलना रे खिड़की खोलना रे हाँ हाँ खोलना रे खिड़की खोलना रे राजा हवेली की खिड़की ज़रा खोलना रे हाँ हाँ खोलना रे (हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ) खिड़की खोलना रे (हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ) राजा हवेली की खिड़की ज़रा खोलना रे हाँ हाँ खोलना रे खिड़की खोलना रे (हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ)

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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