Bheegi Bheegi Raaton Mein

Lata Mangeshkar, Kishore Kumar

भीगी भीगी रातों में मीठी मीठी बातों में ऐसी बरसातों में कैसा लगता है हाँ ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो अंबर खेले होली उइ माँ भीगी मोरी चोली हमजोली हमजोली अंबर खेले होली उइ माँ भीगी मोरी चोली हमजोली हमजोली हो पानी के इस रेले में सावन के इस मेले में छत पे अकेले में कैसा लगता है ऐसा लगता है तुम बनके घटा अपने सजन को भीगो के खेल खेल रही हो खेल रही हो ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो बरखा से बचा लूँ तुझे सीने से लगा लूँ आ छुपा लूँ आ छुपा लूँ बरखा से बचा लूँ तुझे सीने से लगा लूँ आ छुपा लूँ आ छुपा लूँ दिल ने पुकारा देखो रुत का इशारा देखो उफ़ ये नज़ारा देखो कैसा लगता है बोलो ऐसा लगता है कुछ हो जाएगा मस्त पवन के ये झोके सैयाँ देख रहे हो देख रहे हो ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगो के मुझे छेड़ रहे हो छेड़ रहे हो हम्म हम्म हम्म

Written by: ANAND BAKSHI, RAHUL DEV BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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