Ishq Khuda Hai
तुलसी कुमार, Sanjay-Rajee, Khushali Kumar
दो कदम चलने की चाह थी उस रास्ते पर
जिस पर चलने को हाथ थमा था तुमने
लगता था बस यहीं पोहचाएंगी मंज़िल-ए-सफर तक
खोज पूरी हो गयी शायद ऐसा एहसास हो गया था
अंदर के दर्द अभी कुछ देर पहले तक दुखते थे
गिरने वाले तो ना थे हम कभी
गिरानेवाले का हुनर तो देखिये
हम ने आह भी करी तो हमे ही सुनाई ना दी
पिघलते गए उसकी साँसों में हरपल
सामने वो था तो हर सब्र खो बैठे
सिर्फ चाहा की वो चाहें मुझे इतना
जितना मैंने उसको चाहा
हौले से कब हुआ है किसी और का होकर
सिर्फ मेरी और देख कर कहा की कमी है तेरी
हल्के सी मज़ाक बन कर रेह गए खुद्दारी मेरी
अब ना होगा मुझसे ये खेल दोबारा
खेल दोबारा
जेहेर वेख के पीता ते की कीता
इश्क़ सोच के कीता ते की कीता
दिल देके दिल लेन दी
आस रखी वे बुल्लेया वे बुल्लेया
प्यार वी लालच नाल कीता ते की कीता
पर तुम में शायद कुछ खास है
तुम्हारी आंखो में बच्चों की सी आस है
तुम्हारी आंखो के शीशे में
मेरा चेहरा दिख रहा है मुझे
दिख रहा है मुझे
मेरे चेहरे की रंगत क्या खूब दिखती है इनमें
सोचते है अब इनहि में रेहेंगे
जेहेर वेख के पीता ते की कीता
ईश्क़ सोच के कीता ते की कीता
दिल देके दिल लेन दी
आस रखी वे बुल्लेया वे बुल्लेया
प्यार वी लालच नाल कीता ते की ही कीता
चल ज़िंदगी मैं इश्क़ ए जुएन के लिए फिर तैयार हूँ
सारी बाज़ियाँ तू खेल फिर मुझको मिट्टी में रेहन दे
सब करके देखा इश्क़ में ही छुपी इबादत
वक़्त अगर ज़िंदगी तो इश्क़ खुदा है
हरपल में इश्क़ मिट्टी में इश्क़
हवाओं में और क्या है बाकी
इश्क़ खुदा है, इश्क़ खुदा है
इश्क़ खुदा है, इश्क़ खुदा है
Written by: DP, KHUSHALI KUMAR, SANJAY RAJEELyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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