Kabhi Jo Badal Barase Dil De Diya Hai

तुलसी कुमार, मोहम्मद इरफान

आवारगी में बन गया दीवाना मैंने क्यूँ सादगी को नहीं जाना रुख़ ज़िंदगी ने मोड़ लिया कैसा हमने सोचा नहीं था कभी ऐसा गुज़ारे थे जो लम्हे प्यार के हमेशा तुझे अपना मान के तो फिर तूने बदली क्यूँ अदा ये क्यूँ किया कभी जो बादल बरसे मैं देखूँ तुझे आँखें भर के तू लगे मुझे पहली बारिश की दुआ तेरे पहलू में रह लूँ मैं खुद को पागल कह लूँ तू ग़म दे या खुशियाँ सह लूँ साथिया पहले कभी ना तूने मुझे ग़म दिया फिर मुझे क्यूँ तनहा कर दिया कोई नहीं तेरे सिवा मेरा यहाँ मंज़िलें हैं मेरी तो सब यहाँ चाहत यही है कि इस क़दर प्यार दूँ क़दमों में तेरे मैं दो जहाँ वार दूँ इंसाफ़ कर दो मुझे माफ़ कर दो इतना ही कर दो करम दिल दे दिया है जाँ तुम्हें देंगे दग़ा नही करेंगे सनम हम्म हम्म हम्म (हम्म हम्म हम्म) हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे(हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे) कभी जो बादल बरसे मैं देखूँ तुझे आँखें भर के तू लगे मुझे पहली बारिश की दुआ तेरे पहलू में रह लूँ मैं खुद को पागल कह लूँ तू ग़म दे या खुशियाँ सह लूँ साथिया पास तुम रहोगी भूल अब ना होगी करूँगा ना तुम पे सितम चैन मेरा ले लो ख़ुशी मेरी ले लो दे दो मुझे दे दो सारे ग़म

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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